Monday, January 23, 2012

Saraswati Vandana (Prayers to the Goddess of Learning)

या कुन्देदुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता.....



या कुन्देदुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना |
या ब्रह्माच्युतशन्करप्रभुतिभिर्देवैसदा वन्दिता 
सा मां पातु सरस्वती भगवती नि: शॆष जाड्यापहा || १ ||

दोर्भियुक्ताचतुर्भि: स्फ़टिकमणिनिभै रक्षमालन्दधाना 
हस्तेनैकेन पद्मं सितमपिच शुकं पुस्तकं चापरेण |   
भासा कुन्देन्दु शङ्ख स्फ़टिकमणिनिभा भासमानाज्समाना 
सा मे वाग्देवतेयं निवसतु वदने सर्वदा सुप्रसन्ना ||२||

सुरासुरैस्सेवितपादपङ्कजा   करे विराजत्कमनीयपुस्तका |
विरिञ्चिपत्नी कमलासनस्तिथा सरस्वती नृत्यतु वाचि मे सदा || ३||


सरस्वती सरसिजकेसरप्रभा तपस्विनी सितकमलासनप्रिया |
घनस्तनि कमलविलोललोचना मनस्विनी भवतु वरप्रसादिनी ||४||


सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि |
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ||५||


सरस्वती नमस्तुभ्यं सर्वदेवि नमो नम: |
शान्तरूपे शशिधरे सर्व योगे  नमो नम: || ६ ||


नित्यानन्दे निराधरे निष्कलायै  नमो नम: | |
विद्याधरे विशालाक्षि शुध्धजाने  नमो नम: || ७ ||


शुध्ध स्फ़टिकरुपायै सूक्ष्मरूपे  नमो नम: |
शब्दब्रहिम चतुर्हस्ते सर्वसिध्यै  नमो नम: || ८ ||

मुक्तालङ्कृत सर्वाङ्ग्यै मूलाधारे नमो नम: |
मूलमन्त्र स्वरुपायै मूलशक्त्यै  नमो नम: || 9 ||

मनोन्मनि महाभोगे वागिश्वरी नमो नम: | 
वाग्मयै   वरदहस्तायै वरदायै  नमो नम: || 0 ||

वेदायै वेदरुपायै वेदान्तायै नमो नम: |
गुणदोष विवर्जिन्यै गुण दिप्त्यै नमो नम: ||  || 

सर्वज्ञानै सदानन्दे सर्वरूपे नमो नम: |
समपन्नायै कुमार्यै च सर्वज्ञे नमो नम: ||  ||

योगनार्य उमादेव्यै योगनन्दे नमो नम: |
दिव्यज्ञान  त्रिनेत्रायै दिव्यमूर्त्यै नमो नम: ||१३ ||

अर्धचन्द्रजटाधारि चन्द्रबिम्बे नमो नम: |
चन्द्रादित्यजटाधारि चन्द्रबिम्बे नमो नम:  ||१४||

अणुरूपे महारूपे विश्वरुपे नमो नम: |
अणिमाद् यष्टसिध्धायै आनन्दायै नमो नम: || १५ ||

ज्ञान विज्ञान रुपायै ज्ञानमूर्ते नमो नम: |
नानाशास्त्र स्वरुपायै नाना रूपे नमो नम: || १६ ||

पद्मजा पद्मवंशा च पद्मरूपे नमो नम: |
परमेष्ठयै परामूर्त्यै नमस्ते पापनाशिनी || १७ ||

महादेव्यै महाकाल्यै महालक्ष्म्यै नमो नम: |
ब्रह्मविष्णुशिवायै च ब्रह्मनार्यै नमो नम: || १८ ||

कमलाकरपुष्पा च  कामरूपे नमो नम: |
कपालिकर्मदिप्तायै कर्मदायै नमो नम: || १९ || 

सायं प्रात: पठेन्नित्यं षण्मासात्सिद्धिरुच्यते  |
चोरव्याघ्रभयं नास्ति पठतां शृण्वतामपि || २० ||

इत्थं सरस्वती स्तोत्रमगत्स्यमुनि वाचकम् |
सर्वसिद्धिकरं नृणां सर्वपापप्रणाशनम्  || २१ |




(संपूर्ण ) 


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